Not known Factual Statements About Shodashi
Wiki Article
हरिप्रियानुजां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥७॥
The Mahavidya Shodashi Mantra supports psychological steadiness, promoting healing from earlier traumas and inner peace. By chanting this mantra, devotees come across launch from adverse feelings, developing a balanced and resilient state of mind that can help them confront lifestyle’s issues gracefully.
A novel function from the temple is always that souls from any religion can and do present puja to Sri Maa. Uniquely, the temple management comprises a board of devotees from many religions and cultures.
The Sri Chakra is really a diagram formed from nine triangles that encompass and emit out in the central level.
When the Devi (the Goddess) is worshipped in Shreecharka, it is said for being the best type of worship with the goddess. There are 64 Charkas that Lord Shiva gave on the individuals, in addition to unique Mantras and Tantras. These were given so which the human beings could target attaining spiritual benefits.
अष्टारे पुर-सिद्धया विलसितं रोग-प्रणाशे शुभे
काञ्चीपुरीश्वरीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥१०॥
She is depicted with a golden hue, embodying the radiance of the mounting Solar, and is usually portrayed with a 3rd eye, indicating her knowledge and insight.
कामाकर्षिणी कादिभिः स्वर-दले गुप्ताभिधाभिः सदा ।
॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥५॥
हादिः काद्यर्णतत्त्वा सुरपतिवरदा कामराजप्रदिष्टा ।
‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर click here एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।